सततता का गीत 

 

धरती है हमारी माँ,

इसका मान बढ़ाना है।

प्रकृति से संतुलन रखकर,

भविष्य को संवारना है।

 

नदियों का जल शुद्ध रहे,

वनों की हरियाली हो।

ऊर्जा बचाकर चलें सभी,

तो जीवन खुशहाली हो।

 

कम करो अपव्यय को,

पुनः प्रयोग अपनाओ।

कचरे को मत फेंको यूँ ही,

रीसाइकिल कर दिखलाओ।

 

आज बचाएँ पेड़-पौधे,

कल की साँस बचाएँगे।

सूरज, पवन, जल की शक्ति से,

नई दुनिया सजाएँगे।

 

सततता का यह संदेश,

हर दिल में जगाना है।

धरती को हरा-भरा  रख,

मानव धर्म निभाना है।